tarot.ideazunlimited.net.Five of  Cups

फाइव ऑफ कप्स

For English please Click here
कृपया एमेजोन से खरिदिए
कृपया फ्लिपकार्ट से खरिदिए
हमसे डायरेक्ट खरिदिए +91 9723106181


अपराईट भविष्य कथन का महत्व



टूटा हुआ विवाह, व्यर्थ पछतावा, दुःख, हानि, पछतावा, असफलता, निराशा, निराशावाद।

वह भगवान विश्वकर्मा, सृष्टि के निर्माण देवता के चौथे पुत्र, त्वस्तार हैं। कार्ड दर्शाता है की आपके वैवाहीक जीवन में बाहर से सब कुछ अच्छा लग रहा है लेकिन अंदर से मन टूटे हुए हैं। मन के अंदर या तो प्रत्यक्ष रूप से आप टूटा हुआ विवाह महसूस कर रहे है। बीती बातों का आपको पछतावा भी हो रहा है लेकिन उसका अब कोई महत्व मनहीं बचा तो यह व्यर्थ पछतावा हो रहा है, जिसे छोड दीजिए।आपके जीवन में आपने हसना सीख लिया है ताकि मन के अंदर का दुःख किसी को भी पता ना चले।जिससे आपको हानि पहुंचती है मन को कष्ट होते हैं। छोटी छोटी असफलता से निराशा ग्रस्त होने की कोई जरूरत नहीं है।आप भी जानते हैं कि निराशावाद जिवन के अमूल्य समय को नष्ट कर देता है।

रिवर्स भविष्य कथन



वापसी, बुलावा,, आशा, व्यक्तिगत झटके, आत्म-क्षमा, आगे बढ़ना।

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है। आपको कई महिने हुए होंगे जब अपने चहिते मंदिर में गए होंगे। वहीं परमपिता के घर वापसी का बुलावा आया है। सब काम पीछे छोडकर मंदिर में जाए।भगवान से वार्तालाप होते ही नई आशा की किरण नजर आएगी।आपको सकारात्मक व्यक्तिगत झटके मिलेंगे। जहाँ से उम्मिद नहीं वहाँ से कुछ न कुछ मिलेगा।मिलेगा।पने ही गलती पर आप अपने आप को माफ कर रहे हो। आत्म-क्षमा का भाव आपको सूचित कर रहा है कि केवल पछतावा करने से कुछ नहीं होगा आगे बढ़ना जरूरी है।

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु



एक लंबा आदमी कार्ड रीडर को पीठ दिखाते हुए खडा है। उसने काले रंग का लंबा चोगा पहना हुआ है। वह नदी के सामने खड़ा है। उसके दाहिनी ओर एक पुल है, जिसे वह नहीं देख सकता, क्योंकि वह उदास है और जमीन की ओर देख रहा है। उसके सामने तीन कप खाली हैं और दो कप अभी भी उसके पीछे हैं। नदी के पार क्षितिज पर एक किला है।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु


एक आदमी अपने लाल और पीले कपड़े में नीले दुपट्टे के साथ समुद्र के किनारे खड़ा है।

समुद्र किनारे पर रौद्र रुप में है। दूर समुद्र में एक नाव है। आदमी ने अतिरिक्त रूप से पारदर्शी काला कपड़ा पहना हुआ है।तीन कलश जमीन पर गिरे हैं और तीन कलश सीधे हैं। वह भगवान विश्वकर्मा, सृष्टि के निर्माण देवता के चौथे पुत्र, त्वस्तार हैं।वह भगवान कृष्ण के द्वारका नगरी के समुद्र तट पर खड़ा है। वह सागर देवता के साथ चर्चा करते हुए शहर बनाने की योजना बना रहा है, वह सागर से कुछ और जगह देने का अनुरोध कर रहा है।

(विस्तृत कहानी ।)

भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा-वृंदावन को छोड़ने के बाद समुद्र तट पर भगवान विश्वकर्मा, सृष्टि के निर्माण देवता के चौथे पुत्र, त्वस्तार के योजना अनुसारद्वारका नगरी बसाई थी। जो कौरवों की माता गांधारी और ऋषियों द्वारा दिए गए शाप के कारण तहस-नहस हो गई।

महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजयी हुई। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को राजगद्दी पर बैठाया और राज्य से जुड़े नियम-कानून उन्हें समझाकर वे कौरवों की माता गांधारी से मिलने पहुंचे। कान्हा के आने पर गांधारी फूट-फूटकर रोने लगीं और फिर क्रोधित होकर उन्हें शाप दिया कि जिस तरह तुमने मेरे कुल का नाश किया है, तुम्हारे कुल का अंत भी इसी तरह होगा। श्रीकृष्ण साक्षात भगवान थे, चाहते तो इस शाप को निष्फल कर सकते थे। लेकिन उन्होंने मानव रूप में लिए अपने जन्म का मान रखा और गांधारी को प्रणाम करके वहां से चले गए।

श्रीकृष्ण के पुत्र सांब अपने मित्रों के साथ हंसी-ठिठोली कर रहे थे। उस समय महर्षि विश्वामित्र और कण्व ऋषि ने द्वारका में प्रवेश किया। इन युवकों ने सांब को एक महिला के वेश में तैयार किया और महर्षि विश्वामित्र तथा कण्व ऋषि के सामने पहुंचकर उनसे बोले, यह स्त्री गर्भवती है। दोनों ही ऋषि युवकों के इस परिहास से अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने कहा कि इसके गर्भ से एक मूसल उत्पन्न होगा, जिससे तुम जैसे दुष्ट, असभ्य और क्रूर लोग अपने समस्त कुल का नाश कर लेंगे।

इस घटना का पता श्रीकृष्ण को चला तो उन्होंने कहा यह ऋषियों की वाणी है। व्यर्थ नहीं जाएगी और अगले ही दिन सांब ने एक मूसल उत्पन्न किया। इस मूसल को राजा उग्रसेन ने समुद्र में फिकवा दिया।

महाभारत युद्ध के 36वें वर्ष में द्वारका नगरी में बहुत अपशकुन होने लगे थे। कान्हा ने सभी यदुवंशी पुरुषों को तीर्थ पर जाने के लिए कहा। इस पर सभी लोग द्वारका नगरी से तीर्थ के लिए निकल गए। प्रभास क्षेत्र में आने पर लोग आपस में भिड़ गए। यह बहसबाजी, झगड़े में बदली और झगड़ा मारकाट में बदल गया। इस दौरान ऋषियों का शाप इस रूप में फलिभूत हुआ कि सांब ने जिस मूसल को उत्पन्न किया था, उसके प्रभाव से प्रभास क्षेत्र में खड़ी एरका घास को लड़ाई के दौरान जो भी उखाड़ता, वो एरका घास मूसल में परिवर्तित हो जाती। इस लड़ाई में श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न भी मारे गए। सूचना मिलते ही कान्हा प्रभास क्षेत्र पहुंचे। अंत में सिर्फ श्रीकृष्ण, उनके सारथी दारुक और बलराम बचे। कान्हा ने पिता वासुदेवजी को इस नरसंहार के बारे में बताया और कहा नगर की स्त्रियों और बच्चों को लेकर अर्जुन के साथ हस्तिनापुर चले जाइएगा।

तब बलरामजी ध्यानावस्था में बैठे थे। कान्हा के पहुंचते ही उनके शरीर से शेषनाग निकले और समुद्र में चले गए। अब श्रीकृष्ण एक पेड़ की छांव में बैठ गए। इसी समय जरा नामक एक शिकारी ने उनके पैर के अंगूठे को हिरण का मुख समझकर वाण चला दिया। कान्हा ने उसे अभय दान देकर देह त्याग दी।

अर्जुन ने फिर प्रभास क्षेत्र जाकर सभी यदुवंशियों का अंतिम संस्कार किया। अगले दिन वासुदेवजी ने प्राण त्याग दिए। उस पर उनका अंतिम संस्कार कर अर्जुन सभी महिलाओं और बच्चों को लेकर द्वारका से निकल गए। जैसे ही उन लोगों ने नगर छोड़ा द्वारका का राजमहल और नगरी समुद्र में समा गई।





प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

द फूल

द मैजिशियन

द हाई प्रिस्टेस

द एम्प्रेस

द एम्परर

द हेरोफंट

द लवर्स

द चैरीओट

द स्ट्रेंग्थ

द हरमिट

द व्हील ऑफ फॉर्चून

जस्टिस

द हैंग्ड मैन

द डेथ

टेम्परंस

द डेविल

द टावर

द स्टार

द मून

द सन

जजमेंट

द वर्ल्ड

एस ऑफ कप्स

टू ऑफ कप्स

थ्री ऑफ कप्स

फोर ऑफ कप्स

फाइव ऑफ कप्स

सिक्स ऑफ कप्स

सेवन ऑफ कप्स

एट ऑफ कप्स

नाइन ऑफ कप्स

टेन ऑफ कप्स

पेज ऑफ कप्स

नाईट ऑफ कप्स

क्वीन ऑफ कप्स

किंग ऑफ कप्स

एस ओफ स्वोर्ड्स

टू ओफ स्वोर्ड्स

थ्री ओफ स्वोर्ड्स

फोर ओफ स्वोर्ड्स

फाईव ओफ स्वोर्ड्स

सिक्स ओफ स्वोर्ड्स

सेवन ओफ स्वोर्ड्स

एट ओफ स्वोर्ड्स

नाइन ओफ स्वोर्ड्स

टेन ओफ स्वोर्ड्स

पेज ओफ स्वोर्ड्स

नाईट ओफ स्वोर्ड्स

क्वीन ओफ स्वोर्ड्स

किंग ओफ स्वोर्ड्स

एस ओफ वांड

टू ओफ वांड

थ्री ओफ वांड

फोर ओफ वांड

फाइव ओफ वांड

सिक्स ओफ वांड

सेवन ओफ वांड

एट ओफ वांड

नाइन ओफ वांड

टेन ओफ वांड

पेज ओफ वांड

नाईट ओफ वांड

क्वीन ओफ वांड

किंग ओफ वांड

एस ऑफ पेंटाकल्स

टू ऑफ पेंटाकल्स

थ्री ऑफ पेंटाकल्स

फोर ऑफ पेंटाकल्स

फाईव ऑफ पेंटाकल्स

सिक्स ऑफ पेंटाकल्स

सेवन ऑफ पेंटाकल्स

एट ऑफ पेंटाकल्स

नाइन ऑफ पेंटाकल्स

टेन ऑफ पेंटाकल्स

पेज ऑफ पेंटाकल्स

नाईट ऑफ पेंटाकल्स

क्वीन ऑफ पेंटाकल्स

किंग ऑफ पेंटाकल्स